उन आँखों पे क़ुर्बान जाऊँ जिन्हों ने
हज़ारों हिजाबों में परवाना देखा
उसे देख कर और को फिर जो देखे
कोई देखने वाला ऐसा न देखा




ये भी एक तमाशा है बाजारे उल्फत में "गालिब"
दिल किसी और का होता है,बस किसी और का चलता है।





हर पल ध्यान में बसने वाले लोग फ़साने हो जाते हैं

आँखें बूढ़ी हो जाती हैं ख़्वाब पुराने हो जाते हैं

मौसमे-इश्क़ की आहट से ही हर इक चीज़ बदल जाती है

रातें पागल कर देती हैं दिन दीवाने हो जाते हैं





इतने  बेताब इतने  बेकरार क्यूं हैं

लोग जरूरत से ज्यादा होशियार क्यूं हैं

सब को सबकी हर खबर चाहिए

लोग चलते फिरते अखबार क्यूं हैं





जमाना झुक गया होता गर लहजा बदल लेते

मंजिल भी मिल गई होती गर रास्ता बदल लेते

मगर रास्तों में ही तो सारा खेल छुपा था

रास्ते बदल लेते तो सारे मायने ही बदल देते





आसमां पे कायम ठिकाने कभी भी नहीं होते

जो जमीं के नहीं होते वो शायद कहीं के नहीं होते।

कीमतें मुकर्रर करने की तालीम गर सही होती

चीजें मंहगी नहीं होती और दिल सस्ते नहीं होते।

Nazm....160722

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उन आँखों पे क़ुर्बान जाऊँ जिन्हों ने
हज़ारों हिजाबों में परवाना देखा
उसे देख कर और को फिर जो देखे
कोई देखने वाला ऐसा न देखा




ये भी एक तमाशा है बाजारे उल्फत में "गालिब"
दिल किसी और का होता है,बस किसी और का चलता है।





हर पल ध्यान में बसने वाले लोग फ़साने हो जाते हैं

आँखें बूढ़ी हो जाती हैं ख़्वाब पुराने हो जाते हैं

मौसमे-इश्क़ की आहट से ही हर इक चीज़ बदल जाती है

रातें पागल कर देती हैं दिन दीवाने हो जाते हैं





इतने बेताब इतने बेकरार क्यूं हैं

लोग जरूरत से ज्यादा होशियार क्यूं हैं

सब को सबकी हर खबर चाहिए

लोग चलते फिरते अखबार क्यूं हैं





जमाना झुक गया होता गर लहजा बदल लेते

मंजिल भी मिल गई होती गर रास्ता बदल लेते

मगर रास्तों में ही तो सारा खेल छुपा था

रास्ते बदल लेते तो सारे मायने ही बदल देते





आसमां पे कायम ठिकाने कभी भी नहीं होते

जो जमीं के नहीं होते वो शायद कहीं के नहीं होते।

कीमतें मुकर्रर करने की तालीम गर सही होती

चीजें मंहगी नहीं होती और दिल सस्ते नहीं होते।

Added to SD quotes.....2 years ago

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